Antas Ro Olmo
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माटी स्यु जुड़्योड़ी कवितावां
देवीलाल जी आपरे जीवन अर रोजमर्रा रे जीवन री बातां अर ओळमा ईं पोथी माहीं उतारी है, जीण री जुगत अर कोई तरकीब तो ई पोथी माहीं कोनी पण ई रे माहीं बे सब बातां है जिकी न आपां केहणि चाह्वां अर ठीक बगत पर बता न सकां। मदन जी लढ़ा री टीप भी आपरी एकोएक पंक्ति स्यूँ इण उजळे साहित्य रो परिचय दियो है।
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